नई शिक्षा नीति काउद्देश्य एक बहु-विषयकशिक्षा प्रणाली कानिर्माण करना

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विज्ञप्ति जारी करने हेतू                                                                     दि. 23 जून 2020


 


 


 



 


के. कस्तूरीरंगन का एमआयटी एडीटीविश्वविद्यालय के वेबीनार में प्रतिपादन


 


 


 


पुणे, ता. 23 : कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद उच्च शिक्षामें कई बदलाव हो रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा इस बदली हुईस्थिति को अवसर के रूप में देखना चाहिए. नई शिक्षा नीतिमें, भारत सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान केमामले में बहुआयामी शिक्षा प्रणाली को लागू करने की नीतिअपनाई है. यह नीति जल्द सरकार ले के आऐगी. इसकाउद्देश्य छात्रों को आवश्यक कौशल से लैस करके भारत कोएक ज्ञान महाशक्ति बनाना है. इसके लिए, शिक्षकों कोअधिक रचनात्मक होना होगा और छात्रों को विभिन्न विषयोंपर गहन जानकारी प्रदान करनी होगी, ऐसा प्रतिपादनभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्त्रो) के पूर्व अध्यक्षऔर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के लिए मसौदा समिति केअध्यक्ष डॉ. पद्म विभूषण कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन ने किया.


 


वह एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी राजबाग, लोनी कालभोर द्वारा आयोजित "उच्च शिक्षा मेंसंभावनाएं और चुनौतियां" इस विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनारमें मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. इस समय, एमआईटीएडीटी विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष, प्रा. डॉ. विश्वनाथ.दा. कराड, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्षऔर प्रभारी कुलपति प्रा. डॉ मंगेश कराड ने इसमें भाग लिया.


 


के. कस्तूरीरंगन ने कहा कि भारत सरकार छात्र केंद्रित शिक्षानीति अपना रही है. इसका उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास कोप्राप्त करना है. हालाँकि ऑनलाइन शिक्षा वर्तमान में एकचुनौती है, लेकिन आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार करकेसमग्र विकास प्राप्त किया जा सकता है. उच्च शिक्षा में,शिक्षकों और छात्रों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. देशके 900 से अधिक विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केसाथ-साथ शोध पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए आधारभूतसंरचना का निर्माण किया जाना चाहिए. 2030 तक, हर जिलेमें उच्च शिक्षा के बहु-विषयक संस्थान स्थापित किए जाएंगे.यह छात्रों के समग्र विकास और उदार शिक्षा को बढ़ावा देगा.भविष्य में, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण होगा और अंतर्राष्ट्रीयमानक शिक्षा प्रदान करने की चुनौती होगी. विश्वविद्यालयों कोअपने हिसाब से पाठ्यक्रम बदलना होगा. व्यावसायिक शिक्षामें छात्रों की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है. सूचनाप्रौद्योगिकी में शिक्षा के प्रसार, शिक्षा के विस्तार, शिक्षा कीगुणवत्ता, शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है.


 


प्रा. डॉ. विश्वनाथ कराड ने कहा कि नई शिक्षा नीति आने वालेसमय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. एक समग्र शांति प्रेमीशिक्षा प्रणाली का निर्माण किया जाना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षानीति के माध्यम से शैक्षिक संस्थानों का मार्गदर्शन करनाहोगा. प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में छात्र-केंद्रितशिक्षा और समग्र विकास महत्वपूर्ण रहा है. मूल्यात्मक शिक्षाप्रणाली बनाकर विकासात्मक शिक्षा प्रदान करने कीआवश्यकता है.


 


प्रा. डॉ मंगेश कराड ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिएविभिन्न समितियों का गठन किया गया था. उन्होंने कुछसुझाव दिए और वे सरकार द्वारा लागू किए गए हैं. 1986 मेंराष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद से, कई समितियों ने छात्र-केंद्रितशिक्षा को महत्व दिया है. डॉ के. कस्तूरीरंगन की समितिबहुआयामी शिक्षा प्रणाली और छात्रों के समग्र विकास परध्यान केंद्रित करेवाली है. कोरोना के बाद, शिक्षा के क्षेत्र मेंकई चुनौतियां होंगी, लेकिन शिक्षा संस्थाओं को इसे एकअवसर के रूप में देखना चाहिए और छात्रों को प्रोत्साहनकरने के लिए काम करना चाहिए.